उत्तराखंड को स्थायित्व देने वाले पहले भाजपा मुख्यमंत्री बने पुष्कर सिंह धामी

उत्तराखंड को स्थायित्व देने वाले पहले भाजपा मुख्यमंत्री बने पुष्कर सिंह धामी

उत्तराखंड में भाजपा के सबसे लंबे कार्यकाल वाले मुख्यमंत्री बने धामी, रचा इतिहास

जनता से भावनात्मक जुड़ाव बना धामी की सबसे बड़ी ताकत

भाजपा आलाकमान के साथ ही जनता की पहली पंसद हैं सीएम धामी

देहरादून। उत्तराखंड की राजनीति में नेतृत्व हमेशा अस्थिरता का शिकार रहा है, लेकिन जब बात पुष्कर सिंह धामी की आती है, तो तस्वीर कुछ और ही दिखती है। धामी भाजपा के पहले ऐसे मुख्यमंत्री हैं जो लंबे समय से राज्य के सीएम हैं। इससे पहले कांग्रेस के एनडी तिवारी ही ऐसे मुख्यमंत्री थे जो पूरे पांच साल तक उत्तराखंड के सीएम रहे। ऐसे में यह जानना जरूरी है कि आखिर धामी को जनता और पार्टी नेतृत्व ने क्यों लगातार चार सालों तक भरोसेमंद नेतृत्व के तौर पर स्वीकार किया।

04 जुलाई 2021… वो दिन जब भाजपा नेतृत्व ने उत्तराखंड की कमान युवा नेता पुष्कर सिंह धामी को सौंपी। उस समय राज्य में राजनीतिक अस्थिरता थी—लेकिन जैसे ही धामी ने कमान संभाली, उन्होंने न सिर्फ माहौल बदला, बल्कि जनभावनाओं को भी अपने पक्ष में मोड़ दिया। 2022 के विधानसभा चुनावों में जब भाजपा ने ऐतिहासिक वापसी की, तो यह साफ हो गया कि धामी ने जनता का विश्वास जीत लिया है।

इन चार वर्षों में धामी की सबसे बड़ी ताकत रही है—उनकी जनसंपर्क शैली। वह कभी आपदा में अभिभावक की भूमिका में दिखे, तो कभी युवाओं के साथ दोस्त की तरह संवाद करते नज़र आए। महिलाओं के कार्यक्रमों में वे कभी बेटे तो कभी भाई के रूप में मंच साझा करते रहे। यह वही भावनात्मक जुड़ाव है, जिसने उन्हें जनता का मुख्यमंत्री बना दिया।

नीतिगत फैसलों की बात करें तो सीएम धामी ने कई ऐतिहासिक निर्णय लिए। समान नागरिक संहिता (UCC) को लागू करने वाला उत्तराखंड पहला राज्य बना। महिलाओं को तीन मुफ्त गैस सिलेंडर, सरकारी नौकरियों में 30% और सहकारी समितियों में 33% आरक्षण, महालक्ष्मी योजना, लखपति दीदी, नारी सशक्तिकरण योजना जैसी पहलों ने नारी सम्मान और आत्मनिर्भरता को नई पहचान दी।

धामी ने पूर्व सैनिकों और शहीद परिवारों के लिए भी बड़े कदम उठाए। शहीदों के परिजनों को मिलने वाली अनुग्रह राशि ₹10 लाख से बढ़ाकर ₹50 लाख कर दी गई, वहीं आश्रितों को सरकारी नौकरी के लिए आवेदन की सीमा बढ़ा दी गई। उपनल के कर्मचारियों को बीमा और सुविधाओं में समानता दी गई, जिससे उन्हें भी सुरक्षा और सम्मान मिला।

राज्य के दूरस्थ क्षेत्रों के विकास की बात करें तो पलायन को रोकने के लिए ‘एप्पल मिशन’ और ‘कीवी मिशन’ की शुरुआत की गई। हाउस ऑफ हिमालयाज के ज़रिए पहाड़ी उत्पादों को देश-दुनिया में पहचान दिलाई जा रही है। साथ ही नकल विरोधी कानून, सख्त भू कानून, और ‘लव-लैंड-थूक जिहाद’ पर कठोर रुख ने धामी को एक मजबूत फैसले लेने वाले मुख्यमंत्री की छवि दी है। सीएम धामी ने प्रदेश में राष्ट्रीय खेलों के आयोजन और जी-20 देशों की बैठकों के आयोजन से प्रदेश को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भी एक नई पहचान दिलाने का काम किया। इसके साथ ही एसडीजी इंडेक्स में उत्तराखंड ने पहला स्थान प्राप्त किया।

23 हजार सरकारी पदों पर सीधी भर्तियां, शीतकालीन यात्रा, मानसखंड मंदिरमाला मिशन, महासू मंदिर हनोल विकास, GEP इंडेक्स में शानदार प्रदर्शन, और SDG इंडेक्स में उत्तराखंड का पहला स्थान – ये सभी उपलब्धियाँ धामी के कुशल नेतृत्व को प्रमाणित करती हैं।

सीएम धामी के नेतृत्व में सड़कों से लेकर रेल और हवाई संपर्क तक उत्तराखंड आज विकास की रफ्तार से दौड़ रहा है। योजनाओं के ज़रिए लाभ अंतिम व्यक्ति तक पहुंचे, इसके लिए धामी खुद ज़मीन पर उतरकर मॉनिटरिंग करते हैं। शायद यही वजह है कि भाजपा हाईकमान से लेकर बुजुर्गों, महिलाओं, युवाओं और बच्चों तक उन्हें पसंद करते हैं।

चार साल पहले जब धामी ने मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी, तब किसी को अंदाजा नहीं था कि यह युवा नेता न सिर्फ स्थायित्व लाएगा, बल्कि एक उम्मीद का प्रतीक बनेगा। आज जब उत्तराखंड उन्हें ‘धाकड़ धामी’ कहता है, तो यह सिर्फ उपाधि नहीं… बल्कि उन फैसलों, उस समर्पण और उस भरोसे की पहचान है, जो उन्होंने प्रदेश को दिया।

Comments

No comments yet. Why don’t you start the discussion?

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *