सरहद पर तनाव के बीच उत्तराखंड में बढ़ाई ड्रोन से निगरानी चारों धामों में ड्रोन से दिया जा रहा पहरा

सरहद पर तनाव के बीच उत्तराखंड में बढ़ाई ड्रोन से निगरानी चारों धामों में ड्रोन से दिया जा रहा पहरा

उत्तराखंड में भारत-पाकिस्तान के बीच तनाव बढ़ने के बाद संवेदनशील क्षेत्रों में ड्रोन से निगरानी बढ़ाई है। देहरादून मसूरी ऋषिकेश हरिद्वार और चारधामों में 17 ड्रोन लगाए गए हैं। चीन सीमा पर भी सुरक्षा बढ़ाई गई है। खुफिया एजेंसियों की आशंका के बाद यह कदम उठाया गया है ताकि किसी भी घुसपैठ को रोका जा सके। ड्रोन से निगरानी का मुख्य उद्देश्य संदिग्ध गतिविधियों पर नजर रखना है।

भारत-पाकिस्तान के बीच बढ़ी तनातनी के बाद उत्तराखंड में संवेदनशील क्षेत्रों की ड्रोन से निगरानी की जा रही है। पुलिस विभाग की ओर से देहरादून, मसूरी, ऋषिकेश, हरिद्वार के अलावा चारों धामों में 17 ड्रोन निगरानी के लिए लगाए गए हैं, जो कि लगातार आसमान से पहरा दे रहे हैं।
उत्तराखंड की 375 किलोमीटर लंबी सीमा चीन से सटी है, जिसके चलते प्रदेश को संवेदनशील माना जाता है। ऐसे में चीन सीमा पर सुरक्षा बढ़ा दी गई है। इसके अलावा चारों धामों में 13 ड्रोन से निगरानी रखी जा रही है। देहरादून में पूर्व से ही ड्रोन से निगरानी रखी जा रही थी।
चारधाम यात्रा के बाद मसूरी, ऋषिकेश व हरिद्वार में भी निगरानी के लिए ड्रोन लगा दिए गए हैं। खुफिया एजेंसियों की ओर से संभावित घुसपैठ और असामाजिक गतिविधियों की आशंका जताने के बाद यह फैसला लिया गया है। उत्तराखंड की सीमा चीन और नेपाल से तो लगती ही है, साथ ही पाकिस्तान से बढ़ते तनाव के कारण इस क्षेत्र में अतिरिक्त सतर्कता बरतना जरूरी हो गया है। खासतौर पर चमोली और उत्तरकाशी जिलों में ड्रोन निगरानी अभियान तेजी किया गया है।
पुलिस के अनुसार ड्रोन से निगरानी का मुख्य उद्देश्य संवेदनशील इलाकों में किसी भी संदिग्ध गतिविधि पर तुरंत नजर रखना है। ड्रोन कैमरों की मदद से दिन-रात ऊंचे पहाड़ी इलाकों की सघन जांच की जा रही है। इससे जहां मानवीय संसाधनों पर दबाव कम हुआ है, वहीं दूसरी ओर निगरानी की गति और प्रभावशाली हुई है।
उत्तराखंड में जिन ड्रोन का उपयोग किया जा रहा है, वे उच्च गुणवत्ता वाले हाई-रेजोल्यूशन कैमरों से लैस हैं और जीपीएस आधारित ट्रैकिंग सिस्टम से जुड़े हुए हैं। ये ड्रोन न केवल वीडियो और फोटो रिकार्ड करते हैं, बल्कि संदिग्ध गतिविधियों पर आटोमैटिक अलर्ट भी भेज सकते हैं। खराब मौसम और रात के समय में भी यह उपकरण प्रभावी ढंग से कार्य कर सकते हैं।
उत्तराखंड में अभी तक किसी प्रकार की गंभीर घुसपैठ या आतंकी गतिविधि की पुष्टि नहीं हुई है, लेकिन भारत-पाक तनाव के मद्देनजर सुरक्षा एजेंसियों की सतर्कता किसी भी संभावित खतरे को रोकने के लिए बेहद जरूरी है। उत्तराखंड में इस दिशा में उठाए गए कदम न केवल वर्तमान खतरे को टालने में मददगार होंगे, बल्कि भविष्य की चुनौतियों के लिए भी एक मजबूत आधार तैयार करेंगे।

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