उम्र नहीं, गलत आदतें बढ़ा रही हाई बीपी का रिस्क- स्टडी में हुआ चौंकाने वाला खुलासा

उम्र नहीं, गलत आदतें बढ़ा रही हाई बीपी का रिस्क- स्टडी में हुआ चौंकाने वाला खुलासा

आज की तेज गति वाली लाइफस्टाइल में हाई ब्लड प्रेशर अब आम स्वास्थ्य समस्या बन चुका है। विशेषज्ञ इसे ‘साइलेंट किलर’ कहते हैं, क्योंकि बिना किसी खास शुरुआती लक्षण के यह शरीर के अंदरूनी तंत्र पर दबाव बनाता रहता है। लगातार बढ़ा हुआ बीपी धमनियों की दीवारों को सख्त करने लगता है और यही भविष्य में कई गंभीर बीमारियों की जड़ बनता है।

हेल्थ एक्सपर्ट्स के मुताबिक गलत भोजन आदतें, स्ट्रेस, बैठकर रहने की आदत और शारीरिक सक्रियता की कमी हाई बीपी को तेजी से बढ़ाती है। ऐसे में हाई बीपी के बढ़ने की स्थिति को हल्के में लेने की गलती नहीं करनी चाहिए।

हृदय संबंधी गंभीर जोखिम

हाई बीपी का सीधा असर आपके हृदय पर पड़ता है। लगातार अधिक दबाव के कारण हृदय की मांसपेशियों को खून पंप करने के लिए अधिक मेहनत करनी पड़ती है, जिससे हृदय की मांसपेशियां मोटी और कमजोर हो जाती हैं। इससे हार्ट फेलियर का खतरा बढ़ जाता है। इसके अलावा धमनियों के सख्त होने से एथेरोस्क्लेरोसिस (धमनियों में फैट जमा होना) तेज होता है, जो हार्ट अटैक का प्रमुख कारण है।

मस्तिष्क और किडनी पर घातक असर

हाई बीपी मस्तिष्क की नाजुक रक्त वाहिकाओं को नुकसान पहुंचाकर स्ट्रोक (मस्तिष्काघात) का सबसे बड़ा जोखिम पैदा करता है। वहीं किडनी पर दबाव पड़ने से उसकी फिल्टरिंग क्षमता कम हो जाती है, जिससे किडनी फेलियर का खतरा और बढ़ जाता है। यह दोनों ही स्थितियां जीवन की गुणवत्ता को गंभीर रूप से प्रभावित करती हैं।

बीपी अचानक बढ़ने पर क्या करें?

अगर आपका रक्तचाप अचानक बहुत अधिक बढ़ जाए, तो तुरंत शांत जगह पर बैठ जाएं। गहरी सांसें लें और तनाव कम करने की कोशिश करें। अपनी नियमित दवा लें। अगर 20 मिनट बाद भी बीपी नीचे नहीं आता है, या आपको सीने में दर्द, सांस लेने में दिक्कत या तेज सिरदर्द महसूस हो, तो तुरंत इमरजेंसी सेवा को कॉल करें या किसी नजदीकी डॉक्टर से संपर्क करें।

बीपी को नियंत्रित रखने के उपाय

हाई बीपी को नियंत्रित रखने के लिए नमक का सेवन सीमित करें, प्रतिदिन 1500 मिलीग्राम से कम नमक खाएं। डाइट में पोटैशियम (केला, पालक), मैग्नीशियम और फाइबर बढ़ाएं। रोजाना 30 मिनट वॉक करें, वजन नियंत्रित रखें, और धूम्रपान व शराब से दूर रहें। नियमित रूप से बीपी की जांच कराते रहें और डॉक्टर की सलाह को अनदेखा न करें।

(साभार)

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